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अनामिका और कात्यायनी की कविता का तुलनात्मक अध्ययन ~ डॉ. किंगसन सिंह पटेल और रेखा मौर्य

अनामिका और कत्यायनी की कविताओं का तुलनात्मक अध्ययन  :  ‘दूब- धान’ और ‘सात भाइयों के बीच चंपा’ के विशेष संदर्भ में समकालीन हिंदी साहित्य की स्त्री लेखन की परंपरा में अनामिका और कात्यायनी महत्वपूर्ण लेखिकाएं हैं। इन्होंने बड़े बेबाक ढंग से अपनी बातों को कविताओं के माध्यम से व्यक्त किया है। अनामिका स्त्री विमर्श की महत्वपूर्ण मौलिक उपन्यासकार और आलोचक के रूप में सामने आती हैं। इन्होंने अपनी कविताओं में पितृसत्तात्मक समाज की वर्जनाओं से उत्पन्न यातनाओं की दुःसह्यता और संघर्ष का सूक्ष्म चित्रण किया है। इसके साथ ही इन्होंने वर्तमान समय की भयावहता से बच्चों पर होने वाले दुष्परिणामों, दलित जाति की त्रासदियों को, जीवन की व्यस्तता और उदासी से घिरे मध्यवर्ग का बहुत ही सटीक वर्णन किया है। ‘2007’ में प्रकाशित अनामिका का ‘दूब-धान’ कविता संग्रह पांच खंड़ों में विभाजित है। इस खंड के केंद्र में स्त्री है। इसमें ‘गृहलक्ष्मी’ श्रृंखला की 28 कविताओं में से 11 कविताएँ ऐसी हैं, जिनमें मध्यवर्गीय स्त्री की विडंबनाओं और विवशताओं को चित्रित किया है। इसके साथ ही इन्होंने प्रकृति और ग्राम्य संस्कृति से भ...