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Showing posts from August, 2023

सपने टूटने के पश्चात (कविता) ~ पंकज चौहान

 सपनें टूटने के पश्चात उत्पन्न वेदना से निर्मित  आँसू की गोलाकार बूंद धरती की सतह पर  एक वृक्ष बन गई है ऐसे हजारों वृक्ष बंजर से बंजर भूमि पर पहाड़ो पर, रेगिस्तानों में उग गए है जो दूर या पास से देखने पर हरियाली के सुंदरतम रूप दिखाई देते है लेकिन उस वृक्ष से कभी बात करके देखिए उसकी वेदना पत्तों,फलों और फूलों के समान गिरती है उसकी वेदना  कुल्हाड़ी की मार से भी कही ज्यादा मजबूत है ऐसे ही वृक्ष हर दिन उग रहे है जैसे किसी ने इस सम्पूर्ण धरती को हरियाली से भर देने का वादा कर लिया हो ~पंकज चौहान शोधार्थी हिंदी विभाग बीएचयू 

ईश्वर की सत्ता (लेख) ~ कार्तिकेय शुक्ल

 #ईश्वर_की_सत्ता  ___________________ कुछ ऐसा लिखना जो न सत्य हो और न ही असत्य बहुत ही मुश्किल है। फिर भी लिखा जा सकता है। आप ने तो सुना ही होगा कि रसायन शास्त्र के विद्यार्थियों को तत्त्वों की जानकारी देते समय कभी कभार अध्यापक एक्सेप्शन शब्द का इस्तेमाल करते हैं। यदि उस एक्सेप्शन को सत्य और असत्य का केंद्र बिंदु माना जाए तो कुछ बातें स्पष्ट हो जाएंगी। मसलन क्या कुछ ऐसा भी है जो सत्य तो है लेकिन असत्य भी है? या कुछ ऐसा जो असत्य तो है ही साथ ही सत्य भी है? यानी कि कुछ ऐसा जो सत्य और असत्य दोनों कसौटियों पर खरा उतर रहा हो।  सामान्य शब्दों में तो ये मुश्किल है लेकिन दर्शन के क्षेत्र में ऐसे तमाम उदाहरण मिल जाएंगे। जो एक ही साथ और एक ही समय सत्य और असत्य दोनों दीवारों को छूते नज़र आएंगे। जैसे कि ईश्वर है और नहीं भी है। वैसे ईश्वर को मानने वालों की संख्या भले ही आज अधिक हो लेकिन एक समय ऐसा ज़रूर रहा होगा। जब एक बड़ी संख्या ईश्वर के अस्तित्व से इंकार करने वाली ज़रूर रही होगा। और ये इसलिए क्योंकि हाँ से हाँ के तरफ़ बढ़ने के बरक्स, ना से हाँ के तरफ़ बढ़ना आसान होता है। और ईश्वर क...