सपने टूटने के पश्चात (कविता) ~ पंकज चौहान
सपनें टूटने के पश्चात
उत्पन्न वेदना से निर्मित
आँसू की गोलाकार बूंद
धरती की सतह पर
एक वृक्ष बन गई है
ऐसे हजारों वृक्ष
बंजर से बंजर भूमि पर
पहाड़ो पर, रेगिस्तानों में उग गए है
जो दूर या पास से देखने पर
हरियाली के सुंदरतम रूप दिखाई देते है
लेकिन उस वृक्ष से कभी
बात करके देखिए
उसकी वेदना
पत्तों,फलों और फूलों के समान गिरती है
उसकी वेदना
कुल्हाड़ी की मार से भी कही ज्यादा मजबूत है
ऐसे ही वृक्ष हर दिन उग रहे है
जैसे किसी ने इस सम्पूर्ण धरती को
हरियाली से भर देने का वादा कर लिया हो
~पंकज चौहान शोधार्थी हिंदी विभाग बीएचयू
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