मानुष प्रेम भएउ बैकुंठी (आलोचना) ~ अवधेश प्रधान
18 मई 2023 का आदरणीय अवधेश प्रधान सर का एकल व्याख्यान हुआ । सर ने 1.5 घंटे तक बोला। प्रेम भयउ बैकुंठी इसका सीधा मतलब है मनुष्य का प्रेम स्वर्गीय होता है । दिव्य होता है। जब रत्नसेन पद्मावती के लिए श्रीलंका जाते है। तब एक पहाड़ी पर रुकते है और वहां पर एक नाद सुनाई देता है – मानुष प्रेम भएउ बैकुंठी। महोदय ने बताया हे रतनसेन तू सही रास्ते पर है। संसार में अनेक कुंठाए है। प्रेम की शक्ति से मनुष्य कुंठा मुक्त हो जाता है। अनेक रूढ़ियों को तोड़ता है। संसार में रहते हुए संसार से मुक्त की कामना करता है।’ वास्तव में प्रेम ही एक ( अनेक नहीं) कुंठा है। और अभिव्यक्ति पर वह मिट जाती है। प्रेम में लोग संसार से मुक्त की कामना क्यों करते है क्योंकि संसार में रूढ़ियां बहुत है। नियम कायदे बहुत है। ऐसे में प्रेम का आध्यात्मिक हो जाना स्वाभाविक है। अगर ये रूढ़ियां न होती तो प्रेम इहलौकिक होता और कल्याणकारी होता । और प्रेम का रूप कितना सुंदर होता। शायद ही कोई समय निकाल कर सोचे। और अवधेश प्रधान सर का मतलब इन्ही रूढ़ियों से मुक्त हो जाना और आध्यात्मिक हो जाना कुंठा से मुक्ति है। मतलब प्रेम स्वर्ग प्राप...
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