शिशु कविता ~रेखा मौर्य

     शिशु

आया है तू कौन देश से,

 ये बता मुझको।


तेरे आने से फैलती रौनक,

घर भर होता उजियार।

काम छोड़कर सब भागते तेरे पीछे,

देते तुम्हें पुचकार ।

आया है तुम कौन देश से,

ये बता मुझको।


नन्हें कदमों से चलना जब सीखा

माँ करती फरियाद।

इसी तरह तुम आगे बढ़ना

होगा जीवन सफल साकार।

आया है तू कौन है देश से,   

 ये बता मुझको।


प्रस्फुटित हुई कंठ से जब ध्वनि

तुमने बोला माँ ।

आयी उसके अंतरंग से एक ध्वनि

तुम्हें मिला जीवन अपार।

आया है तू कौन देश से,

 ये बता मुझको।

                                                                                                        – रेखा मौर्या शोधार्थी का. हि. वि.


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