प्रेम साधना ~राहुल कुमार सहाय
मैं साधक हूँ,
तुम हो साध्य।
प्रेम केवल
बीच का
मार्ग!
तुम
हमेशा उपस्थित
मेरे सम्मुख
पर,
मैं कायर
न कर सका
खुद को प्रस्तुत।
यही प्रेम है
यही
है जीवन
संगम?
बड़ी निर्मम
प्रकृति
न मिलीं तुम
न मैं
न बच सका
हम।
– राहुल कुमार सहाय शोधार्थी बीएचयू हिंदी विभाग
Kya baat rahul bhai jabardast
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