जाग कमेरा ~ संदीप पटेल
जाग कमेरा :-
तर्ज :- चारो ओरियाँ ताल तलइया घन बगिया के छाँव रे।
भाव:-
गीता वेद पुरान के तजके पढ़ले तू संविधान रे।
कल्पित राम से सुन्दर बाड़े आपन भीम महान रे।।
ना भटक तू मंदिर मस्जिद ना जप कण्ठी माला,
रूखी सूखी खाके भेजा बचवन के पाठशाला,
हर क्षेत्र में अधिकार दियवलें जराके मनुविधान रे।
कल्पित राम से सुंदर बाड़े आपन भीम महान रे।।1।।
पाखण्ड के मिटावे खातिर तर्क ही हथियार बा,
तर्क हौ दुधारी तलवार बाकी सब बेकार बा,
फूले शाहू मनुवादिन कअ तोड़ दिहलें गुमान रे।
कल्पित राम से सुन्दर बाड़े आपन भीम महान रे।।2।।
बुद्ध जी के ज्ञान के आगे दुनिया शीश झुकावेला
ललई वर्मा कअ बतिया सन्दीप खूब समझावेला,
राह देखावे अर्जक संघ करले सही पहचान रे।
कल्पित राम से सुन्दर बाड़े आपन भीम महान रे।।3।।
गीता वेद पुरान के तजके पढ़ले तू संविधान रे।
कल्पित राम से सुन्दर बाड़े आपन भीम महान रे।।
कल्पित राम से सुन्दर बाड़े आपन भीम महान रे।।
~संदीप पटेल शोधार्थी हिंदी विभाग बीएचयू
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