दिल ? आशीर्वाद त्रिपाठी

 दिल?


सामान्यतः दिल फ़ारसी भाषा का शब्द है, यह वही वस्तु है, जिसको हम अंग्रेजी मे हार्ट , और हिंदी में हृदय नाम से जानते आये हैं । परंतु व्यवहार में ये दोनों एक दूसरे से ज्यादा निकटता नही प्रकट करते । क्योंकि आधुनिक डाक्टरों के अनुसार हृदय या हार्ट वह वस्तु है , जो मनुष्य के दाहिने अलिंद में स्थित ए वी नोड से नियंत्रित होती है , और आमतौर पर धड़कने का कार्य करती है । धड़कन वही जो सामान्य रूप में बहत्तर और अस्वस्थ होने पर समस्यानुकूल रूप से कम या ज्यादा हो जाती है। 

अब धड़कन कोई क्रिया है या स्थान बोधक संज्ञा , इसमें मुझे तनिक संदेह है। और वह इसलिए कि प्राचीन काल की किसी प्रसिद्ध फ़िल्म के प्रसिद्घ गीतकार ने अपनी कल्पना प्रबुद्धता या कहें उच्चकोटि की वैज्ञानिकता के वसीभूत हो , अपने नायक से कहलवा दिया है - तुम दिल की धड़कन में रहते हो , रहते हो। अब रहने को लेकर नायिका को भ्रम न हो जाये इसीलिए रहने की क्रिया को दोहराकर संकेत कर दिया गया है। अब इस संदर्भ में कोई अन्य प्रसंग न मिलने के कारण मैं तो अब इसे स्थान बोधक संज्ञा ही समझूँगा। और यह भी यह कोई सुरम्य स्थान ही होगा, जो हृदय नामक विशाल महाद्वीप की किसी रहस्यमयी जगह पर है , क्योंकि ये स्थान अभी तक दुनिया के धुरंधर डॉक्टरों के लिए भी गूढ़ ही है। दिल और हृदय में कुछ बातों को छोड़कर इसमे कोई और समानता नही हैं । 

जैसे की यदि धड़कन को क्रियावाचक संज्ञा माना जाय ( जो कि मैं नहीं मानता ) , तब यह बात स्पष्ट हो जाती है कि, दोनों ही जगह पर कार्य होता है। जहां तक हृदय की बात है, यहां पर इस क्रिया के होते रहने से ही, मनुष्य के जीवित रहने का बोध होता है, अर्थात यहां पर यह क्रिया निरंतर चलती रहती है। परंतु दिल नामक जगह पर इसका कार्य बदल जाता है। एक गीत की पंक्ति -" दिल धड़कता है तो लगता है के तुम आये हो।" पर अगर गौर फ़रमाया जाय तो ऐसा प्रतीत होता है कि, धड़कन , इस दिल नामक स्थान के दरवाजे पर लगी घंटी जिसे अंग्रेजी में डोरवेल कहते हैं, वैसा ही कुछ कार्य करती है। और प्रेमिका या प्रेमी के आगमन की सूचना देती है।  

और दूसरी बात ये की ये दोनों ही वस्तुएं या जगहें( पूर्व संदर्भों के अनुसार) बहुत ही संवेदनशील होती हैं, क्योंकि कई तथ्यों या कविताओं में दिल टूट जाने ,या हृदय के आहत होने , पीड़ा पहुचने की स्थितियां पायी गयी हैं। बाकी जगहों पर मुझे इनमे कोई समानता ना दिखी। और ना ही मैने खोजने की जरूरत समझी। क्योंकि दिल और हृदय को अलग अलग साबित करने के लिए तर्कों - कुतर्कों के ग्रंथ तैयार किये जा सकते हैं।

 जैसे कि हृदय की बात की जाय तो यह कोई बदसूरत सी खून से लथपथ , वक्ष के दाहिने किनारे पर स्थायी रूप से विद्यमान कोई जगह या वस्तु है। जो मनुष्य की अपनी प्रतिभा या क्षमता के अनुसार बड़ा या छोटा होता है। परंतु वहीं पर दिल की बात करें तो यह अनेक रंगों का लाल , ग़ुलाबी, नीला, पीला या अधिकांशतः काला पाया जाता है ( व्हाट्सएप चित्रकारों के अनुसार) । 

यह हृदय की तुलना में अत्यधिक सौंदर्य युक्त होता है। और समयानुसार या अपने व्यवहारानुसार छोटा या बड़ा होता है। इसका कोई विश्वशनीय मापक पैमाना ना मौजूद होने के कारण इसके निर्धारण में असुविधा उत्पन्न है। परंतु व्यवहारतः किसी सज्जन व्यक्ति का दिल बड़ा और कृपण का दिल छोटा होने की संभावित आशा की जाती है। इसके अलावा भी यह स्थायी रूप से मुसीबत में छोटा या बड़ा हो सकता है। 

अब आगे बढ़ें तो ये ज्ञात होता है कि यह हृदय की भांति स्थिर और जड़ नही है अपितु समय समय पर दूसरों को उधार भी दिया जा सकता है। हिंदुओं में तो प्राचीन काल मे यह एक प्रथा भी रही , जिसमे प्रेमिका या प्रेमी या पति पत्नी एक दूसरे को स्थायी रूप सात जन्मों के तक के लिए उधार दे जाते थे। परंतु जैसे उनकी अन्य कुप्रथायें समाप्त की गई ,वैसे ही यह भी विलीनप्राय है, अब यह समय अंतराल घटकर कुछ सालों , महीनों या दिनों तक आ पहुँची है। मनुष्य अब उतना धैर्यवान रहा ही नही कि किसी के दिल को सम्हालने की जिम्मेदारी जन्मो तक निबाह सके। कुछ लोग तो इसका दोषारोपण भी पाश्चात्य पर झोंक कर पल्ला झाड़ लेते हैं। ( गौरतलब है कि मनुष्यों ने प्रगति कर आधुनिक समय मे "हार्ट ट्रांसप्लांट" की व्यवस्था कर डाली है, परंतु यदा कदा तो प्राचीन काल मे भी सत्संगों और सुवचनों से हृदय परिवर्तन की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। उदा०- अंगुलिमाल, वाल्मीकि।) अर्थात अब हृदय भी स्थायी नही रह गया।

इस आधुनिक मनुष्य की नियति में तो इतना खोंट आ गया है कि, कई बार तो दिल के चोरी होने की भी घटनाएं सामने आ गयी हैं। अभी कुछ दिन हुए मेरे एक अमुक मित्र मेरे घर आये हुए थे , उन्होंने बताया कि उनका दिल अभी महज दो घंटे पहले मेरे घर से पहले की सड़क पर चोरी हो गया। मैं स्तब्ध था, विस्तार से जानने की उत्कंठा व्यक्त करने पर उन्होंने बताया कि अभी यहाँ आते समय किसी मोहक और सौन्दर्यमयी रमणी द्वारा इस घटना को अंजाम दिया गया। आश्चर्य की बात ये थी कि अमुक मित्र को ये नही स्पष्ट था कि उस रमणी ने इनको देखा भी था या नहीं। 

नये जमाने की नई तरकीबों की मैं ज्यादा जानकारी तो नही रखता। परंतु ये मनुष्यों की आश्चर्यजनक तकनीकों में से एक है। अब परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इस बात की आवश्यकता आन पड़ी है कि दिलों की संख्या में बढ़ोत्तरी की जाय, अन्यथा किसी को दिल उधार दिए जाने , खो जाने या चोरी हो जाने की दशा में , कहीं और दिल उधार देने या चोरी करवाने के लिये हमारे पास दिल ही ना रहे। शायद इसी को ध्यान में रखकर ग़ालिब ये कहते हुए कि-

 " मेरी किस्मत में ग़म गर इतना था।

     दिल भी या रब कई दिए होते।।"

दिलों की संख्या में वृद्धि के लिए भगवान से सिफारिश करते नजर आ जाते हैं।

अब इतनी बात हो जाने के बाद इसकी प्रकृति की चर्चा कर लेना अतिआवश्यक है। इस प्रसंग में शायरों ने कई राज उजागर किये है। तो बिना उनकी राय लिए हम किसी नतीजे पर नही पहुंच सकेंगे। अब प्रश्न ये उठता है कि दिल बना किस धातु का होता है? इसके उत्तर में दाग़ देहलवी के एक शेर पर गौर किया जाय - 

  "तुम्हारा दिल मेरे दिल के बराबर हो नही सकता।

वो शीशा हो नही सकता , ये पत्थर हो नही सकता।।"

तो यह ज्ञात होता है कि अभी तक दिल पत्थर और सीसे का बना पाया गया है। और ध्यातव्य है कि है पत्थर धातु नही होता, अतः अभी तक इसका श्रेय केवल सीसे को प्राप्त है। 

जलील मानिकपूरी इसके स्वभाव की चर्चा करते हुए कहते हैं ,

"आप पहलू में जो बैठें तो सम्हल कर बैठें।

दिल-ए-बेताब को आदत है मचल जाने की।।"

अब कुछ लोग छूटते ही बोल पड़ेंगे जलील साहब थोड़ा रंगीन मिजाज के रहे होंगे , अब कमबख्तों को कौन बताये यहाँ भी साहब ने उच्च वैज्ञानिकता की बात कह डाली है, सीधी सी बात है वे उसकी प्रकृति की बात करते हुए बता रहे है कि स्वभाव से दिल नटखट और चंचल प्रकृति का होता है। खैर.....

अब दिलों की संख्या की बात करें तो इसमें अभी भी बहुत मतभेद है, हालांकि ऊपर इसकी चर्चा की जा चुकी है, फिर भी अगर इस पर प्रकाश डालने के लिए मध्यकाल में चलें तो जिस प्रकार बादशाहों के हरम में कई बेगमें हुआ करती थीं, अबुल फजल ने तो आईने अकबरी में मुगल बादशाह अकबर के हरम में पांच हजार महिलाओं का उल्लेख किया है, जिनमे सैकड़ो के साथ तो उसके शारीरिक संबंध रहे, तो या तो वे अपनी बेगमों को बेवकूफ बनाते रहे हों, या फिर सच मे उनके पास हजारों दिल रहें हों, अब चूँकि बादशाह तो कोई सामान्य इंसान होता नही है, तो ये बाद अतिश्योक्ति भी नही कही जा सकती। या एक ही दिल कई बार कई लोगों को दिए जाने की प्रथा , जो कि इस समय जोरों पर है,( जिसमे पहले व्यक्ति को उधार दिया दिल ,वापस लेकर दूसरे को दे दिया जाता है। ) उस समय भी रही हो। जिसकी पुष्टि वर्तमान के गीत " दिल लौटा दो मेरा चले जायेंगे" से की जा सकती है। जिसमे नायक नायिका से बकायदे अपना दिल वापस मांग रहा है , जो कि कुछ समय पूर्व उसने नायिका को दिया हो या चोरी हो गया हो। 

अब इतनी बड़ी व्याख्या में हो सकता है, कइयों के दिल कई बार टूट जाएं , और वो मेरे दिल को तोड़ने की चेष्टा करें, तो मैं खुलासा करना चाहूंगा, की मेरे पास अभी तक दिल होने की पुष्टि नही की गई है। और अगर आने वाले समय मे होने की उम्मीद पायी भी गयी तो , उसके पत्थर के होने की जोरदार संभावनायें हैं, अतः अपने सीसों को तुड़वाने की जहमत न उठाएं। 


                                               ~आशीर्वाद त्रिपाठी

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