बीएचयू में ~ मेवालाल

 



जब प्रशासन मर जाय तो जिम्मेदारी आम आदमी या नीचे तबके के लोग ही उठाते है। जिनका समाज में मूल्य कम होता है पर समाज की नीव वही होते है।बीएचयू में होली के अवसर पर पूरे हफ्ते मेस बंद हो जाता है जिस हफ्ते में एक भी त्योहार होता है। मेस के साथ कैंटीन भी बंद हो जाती है। कुछ विद्यार्थी घर नहीं जाते है। वे जीवन वृत्ति बनाने में लगे रहते है। वे लोग भी नहीं जाते जिनका घर दूर होता है या घर पहुंचने पर पर्याप्त साधन नहीं मौजूद रहते। प्रशासन भोजन के लिए विद्यार्थी को उनके किस्मत पर छोड़ देता है। ऐसा नहीं है कि जो नहीं जा रहे उन सबके लिए एक मेस चलेगा। सिर्फ जिस दिन त्योहार रहेगा उसी दिन छुट्टी रहेगी। 

पूरे कैंपस में मात्र विश्वेश्वरैया छात्रावास का मेस खुला हुआ है। सारे विद्यार्थी वही खाने जाते है। हम लोगो को काफी संघर्ष या इंतजार के बाद खाना मिल पाता है। वहां के स्टाफ काफी ओवरलोडेड होते है। फिर भी वे श्रम करते है। सबको सेवा देते है। ऊंचे सेवको के जैसा नहीं है कि हस्ताक्षर करते करते थक जाय। मुंह से जुबान न निकले और एटीट्यूड में रहे। दो कदम चलने के बाद कह दे कि बहुत थक गया हूं रुको कुछ देर। बाहर इंतजार करो। देश के भविष्य का पढ़े लिखे लोग ख्याल नही कर रहे है। वास्तव में देश का निर्माण यही से ऐसे ही होता है।


मेवालाल

9/3/2023 बृहस्पतिवार.

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