अंतिम सलाम लघुकथा ~ नंदलाल भारती

आफिस बहुत देर खोल रहे हो नरेंद्रबाबू ? हां योगेशजी, अन्तिम संस्कार सेरेमनी में गया था। ये कैसी सेरेमनी थी भाई ? मौत का जश्न समझ लीजिए नरेंद्रबाबू बोले। मौत का भी जश्न होता है क्या ? अरे हां भाई, मैं क्या शहर के गणमान्य लोग भी शामिल थे। ये कौन से महापुरुष थे जिनकी डेथ सेरेमनी थी योगेशजी पूछे। समभाव-सर्वधर्म के नायक फादर वर्गीस अलेंगाडन। अच्छा ईसाई थे योगेशजी बोले। नहीं बस इतना ही नहीं धर्म से थे पर कर्म से उद्धारक, सर्वधर्म समभाव के पथगामी थे । प्रखर वक्ता, धर्म गुरु, समाज सुधारक, मोटिवेशनल स्पीकर, शिक्षा-दूत थे, कहूं कि वे धर्म से उपर उठ गये थे तो अतिशयोक्ति नहीं होनी चाहिए योगेशजी नगेन्द्र बाबू बोले। ये क्या कह रहे हो योगेश बोले? डेथ सेरेमनी ईसाई विधि से हुई है पर उनकी वसीयत के अनुसार अग्नि दाह हुआ है। सच फादर वर्गीस अलेंगाडन फरिश्ता थे योगेश खुशी-खुशी बोले। कितना बड़ा संदेश फादर वर्गीस अलेंगाडन दुनिया को देकर ब्रह्मलीन हुए हैं। दफनाये जाते तो जमीन लगती, जमीन फंसी रहती, जलस्रोत खराब होता और बड़ी बात पर्यावरण बचाओ, जीवन बचाओ का संदेश देकर दुनिया से गये हैं। पर्यावरण और जीवन बचाओ,का संदेश कैसे योगेश पूछे ? चिता नहीं सजी है। फिर दाह संस्कार कैसे हुआ ? विद्युत शवदाह..... नगेन्द्र बाबू आंसू रोकते हुए बोले। अन्तिम सलाम मेरा भी स्वीकार करना खुदा के फरिश्ते फादर वर्गीस अलेंगाडन। ~ नन्दलाल भारती 28/03/2023

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