सपना कविता ~ डॉ. प्रभाकर सिंह

        सपना
कुछ आने वाली दुनिया की
बेहतरी के लिए सपने पालते है। 
कुछ सपने गढ़ते है
कुछ है जो उन सपनों को, 
सिर्फ सपनो में देखते है। 
कुछ ऐसे भी हैं जो, 
 सपने देखते भी है
सपने बुनते भी है
और उन सपनों को,
हकीकत में बदलने का
माद्दा भी रखते है। 
वह उन सपनों के नायकों 
की खोज में भटकते नहीं 
खुद अपने सपने के 
कारखाने से अनगिनत 
नायकों को पैदा कर देते हैं।
 जो आने वाली पीढ़ियों 
की दुनिया को
 नवांकुर सपनों से
 भर देते हैं। 

        ~ डॉ. प्रभाकर सिंह,  प्रोफेसर हिन्दी विभाग  बीएचयू

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