सब चुप हैं कविता ~ कार्तिकेय शुक्ल

 सब चुप हैं 

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सब चुप हैं

कवि भी चुप 

लेखक भी चुप 


कलाकार तो कब के चुप

और तो और स्वयं कविता भी चुप 


कौन बोल रहा है सिवाय गोली के

किसका मुंह खुल रहा सिवाय नली के


एक ही प्रश्न है

और एक ही  है उत्तर 

पर वो भी कोई नहीं दे रहा 


कौन है उस ओर तो देखो

देखकर भी क्यों नहीं बोल रहा

                             ~ कार्तिकेय शुक्ल, शोधार्थी सीयूएच 

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