क्या लिखूं ? कविता ~ वैष्णवी गौतम
आज क्या लिखूं?
संगीत,खुशी,किताब,
दुख या निराशा
या बीते हुए काले दिन,
भयावह राते
या लिखूं जीवन की कोई नई आशा ।
मन में झील सा ठहराव
ये जड़ता है या संतुष्टि
नहीं है पता
तो
क्या इसे कह दूं संवेदनहीनता ?
शायद सभी भावों का मिश्रण
हुआ है
एक खास अनुपात में
जैसे प्राणवायु बनती है कायनात में
उस श्वास का नही होता है एहसास
ठीक वैसे ही अभी मैं हूं
शांत
ना दुख का अनुभव,
ना खुशी है कोई
ना है किसी से अपेक्षा
ना माजी से शिकायत,
ना जीवन का है पता
ये माहौल का है असर,
या है कोई आध्यात्मिकता
मैं भावहीन हो रही हूं,
या सभी भावो से युक्त,
जिसमे नहीं है किसी भाव के लिए खाली जगह
लाऊं कहां से अल्फाज,
क्या लिखूं,
नहीं है पता।
~ वैष्णवी गौतम शोधार्थी हिंदी विभाग बीएचयू
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