सर्वनाश लघुकथा ~ नंदलाल भारती

 लघुकथा: सर्वनाश 

रिटायर हो गए क्या सज्जन बाबू?

जी कम्पनी की नौकरी से रिटायर हुआ हूं पर पारिवारिक जिम्मेदारियों से कौन रिटायर हो पाता है ?

बात तो सौ टका सही है। नौकरी का अनुभव कैसा रहा केवल बाबू पूछे।

कम्पनी तो मां जैसी थी,पर कुछ जातिवादी हिटलरों ने नौकरी के बसन्त को पतझड़ बना दिया था,जिन अमानुषों को हिटलर की तरह भूलाया नहीं जा सकता सज्जन बाबू गमगीन मन से बोले।

क्या कह रहे हो, श्रम की मंडी में जातिवाद का आतंक केवल बाबू पूछे।

हां बाबू तथाकथित ऊंची कौम के लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ता पर छोटी कौम के लोगों के सपनों की जड़ों में ये अमानुष जातिवादी खौलता पानी डाल देते हैं सज्जन बाबू नजरें उपर उठाते हुए बोले।

क्या खौलता पानी केवल बाबू अचम्भित होकर पूछे?

हां इतना अचम्भित क्यों हो रहे हो ?

अचम्भित होने की बात है केवल बाबू बोले।

छोटी कौम के लोगों का प्रमोशन बाधित हो जाता है। आरोप-प्रत्यारोप लगाए जाते है। सी.आर.खराब कर दी जाती है ताकि छोटी कौम वाला मूस मोटाय लोढ़ा ही बना रहे।

सुना था कालेज, यूनिवर्सिटी में द्रोणाचार्य जिन्दा है पर बात और बहुत आगे बढ़ चुकी है केवल बाबू पसीना पोंछते हुए बोले।

हां केवल बाबू सच है। मेरे जितने भी कंट्रोलिंग आफिसर थे सब ऊंची कौम के थे दो अधिकारियों को छोड़कर सब ने मेरी सीआर खराब लिखा जबकि मैं योग्यता में उपर था पर दोस्त मेरी जातीय योग्यता चौथे दर्जे की थी इसलिए मैं योग्यतानुसार तरक्की नहीं पाया।

बाप रे ऐसे जातिवादी दुर्योधन श्रम की मंडी में मौजूद हैं केवल बाबू बोले।

सच्चाई है, आखिर में तो मिस्टर निरोध खुमार माहू ने सी.आर. तो खराब किया ही ओवरऑल कमेंट में लिख दिया वेरी लेजी आफिसर, सोचिए कैसा रहा होगा मेरा सेवाकाल?

सर्वनाश हो ऐसे जातिवादी द्रोणाचार्यो का, केवल बाबू कहते हुए उठे और स्कूटर की किक मार दिये।


नन्दलाल भारती

27/05/2023

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