डिग्रियां कविता ~ कुमार मंगलम रणवीर
डिग्रियां
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हाँ,डिग्रियां!!
भुखमरी के दिनों में
सरकार और कॉरपोरेट
के झूठे पत्तल चाटने का
टिकट है जहाँ इंसान
झपट्टे मारता हुआ कुत्ते
की अगली पीढ़ी लगता है,
ज्ञान पागलों का
अजीबोगरीब करतब
जिसे कुर्सी पर बैठे शिष्ट
मुस्कुराकर अशिष्ट
घोषित कर देते हैं।
कुमार मंगलम रणवीर
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