पीएम मोदी का साक्षात्कार और जवाबदेही का प्रश्न (संपादकीय) ~ मेवालाल

 


पीएम नरेंद्र मोदी अब तक इंडिया टुडे, थानवी टीवी, न्यूज़ वीकली, TV9, न्यूज़ 18, टाइम्स आफ इंडिया, राजस्थान पत्रिका, हिंदुस्तान, फाइनेंशियल टाइम, टाइम्स नाउ, दैनिक जागरण और रिपब्लिक टीवी, एनटीवी, एबीपी, आज तक, एनडीटीवी सहित कुल सोलह साक्षात्कार दे चुके हैं पर उसमें स्वशासन का स्तंभ जवाबदेही कहीं पर दिखाई नहीं देता है। देखकर नही लगता कि वे जनता के प्रति जवाबदेह है बल्कि यह जनता पर प्रभाव बनाए रखने की रणनीति है। पीएम मोदी का साक्षात्कार उस समय पर हो रहा है जब चुनाव हो रहे है। अगर चुनाव न हो रहा होता तो जनता के प्रति जवाबदेह की आशा भी की जा सकती थी।  पर चुनाव के समय तो प्रमोशन की ही चिंता कही जा सकती हैं 

उनके साक्षात्कार के कुछ अंश

प्रश्न : फाइनेंशियल टाइम पूछा गया कि भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों का भविष्य क्या है ?

उत्तर : मोदी जी ने कहा कि बात मुस्लिम अल्पसंख्यकों की नहीं है। पारसी भी अल्पसंख्यक है। देश ने उनको भी शरण दी है। सिर्फ मुसलमानों का संदर्भ नहीं है। आप इसी से भारत की सहिष्णुता से आप अंदाजा लगा सकते है। 

प्रश्न : उत्तर टाइम्स नाउ में मोदी जी कांग्रेस के मुस्लिम आरक्षण पर सवाल पूछा तो मोदी जी ने मुस्लिम हक छीनने से इंकार किया लेकिन उन्होंने धर्म के आधार पर आरक्षण का विरोध किया। हमने आर्थिक आधार पर दस प्रतिशत आरक्षण दिया उसने सभी है हिंदू मुस्लिम सिख पारसी सब। यह संविधान के भावना के खिलाफ है और मैं उस भावना को जीना चाहता हूं।


प्रश्न उत्तर: टाइम्स नाउ में मुस्लिमों को खत्म करने की अपवाह पर उन्होंने कहा कहा 2002 के पहले गुजरात में सालभर में एक दंगे होते रहते थे पर 2002 के बाद एक भी दंगे नहीं हुए। उन्होंने मुस्लिम समाज के पढ़े लिखे लोगों से कहा कि देश विकास का लाभ उठा रहा है तो विचार कीजिए कि ये पहले क्यों नहीं हुआ कांग्रेस के समय क्यों नही हुआ। गुजरात में आए दिन बिजली की कमी पड़ती थी पानी की कमी पड़ती थी अब नही पड़ती हैं। योग पर उन्होंने कहा कि सऊदी अरब में योग ऑफिशियल सिलेबस में शामिल है। यहां योग को हिंदू मुसलमान बनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि मुसलमानो से आग्रह है कि कम से कम अपने बच्चो के भविष्य के बारे में सोचे, अपने जिंदगी के बारे में सोचो, मैं नहीं चाहता कि कोई समाज बंधुवा मजदूर की तरह जिए। इस बात को चेतावनी की तरह नहीं लिया जा सकता क्योंकि जिस लय और भाव में उन्होंने यह बाते कही है उसमे कल्याण निहित है। मुस्लिम समाज को डरने की बिलकुल जरुरत नही है। क्योंकि देश का विकास सभी के लिए है। उसका लाभ सभी उठा सकते है। सीएए और एनआरसी पर उन्होंने कहा कि विपक्ष गुमराह कर रहा है इससे किसी की नागरिकता नही जायेगी। यह नागरिकता लेने के लिए देने के लिए है।

संविधान बदलने पर उन्होंने कहा कि एनडीए और पूर्वोत्तर और आंध्र प्रदेश के सीटों को मिला दिया जाए तो हमारे पास 400 सीट लोकसभा में है अगर बदलना होता तो अब तक बदल चुका होता। विपक्ष के पास कोई और मुद्दा नहीं बचा है इसलिए इसको मुद्दा बना रही है।

आप इस पर स्वयं सोचिए कि जिस संविधान का रक्षक उच्चतम न्यायालय हो उसको बदला जा सकता कि नही? अगर उसमें बदलाव भी किया जाता है तो वह भी मूल संरचना के खिलाफ नहीं होना चाहिए अन्यथा उच्चतम न्यायालय उस कानून को निरस्त कर देगी। संविधान के रहते भारत में दूसरा संविधान लिखने की व्यवस्था नहीं है। 

इंडिया टीवी पर विपक्ष के तानाशाह कहने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं गाली को सहता हूं तो मैं तानाशाह कैसे 

पीएम मोदी ने आर्थिक जीवन अंश, योगा डे, आयुर्वेद भारत की परंपरा, कोविड अल्टरनेटिव वैक्सीन, जी20, ट्रेडिशनल मेडिसिन , अवसंरचनात्मक उन्नति में अभूतपूर्व उन्नति को दिखाया।

यही कुछ महत्वपूर्ण बिंदु थे जो उल्लेख योग्य थे।


प्राय: सवाल उठाया जाता रहा है कि मोदी प्रेस वार्ता क्यों नही करते ? हां वे प्रेस वार्ता नही करते पर इंटरव्यू दे देकर प्रेस वालों से वार्ता जरूर कर रहे है।

एंकर संपादक विपक्ष का सवाल पूछते हैं और पीएम मोदी उसका उत्तर देते है। उनके सवाल निजी होते हैं और मोदी अपनी भावुकता दिखाते है और जनता द्वारा सहानुभूति लूटने की कोशिश भी करते है। वे विपक्ष को नाकाम दिखाने के लिए झूठ का सहारा भी लेते है। यह साक्षात्कार कार्यक्रम वार्ता अधिक दिखता है । हस्ते मुस्कुराते मजे लेते हुए समय काटते हैं। एंकर कहीं क्रॉस क्वेश्चन नहीं पूछते है। अच्छे से हालचाल होता है। कही कहीं एक पत्रकार होते है कहीं कहीं दो तीन, कही कहीं पांच पत्रकार भी होते हैं और यह सब बड़े प्यार से घटित होता है उनके साक्षात्कार को चैनल वाले सौभाग्य समझ रहे है। पोल यही से खुल रहा है। यह सब नियोजित है लगभग विपक्ष के सवाल और मोदी का जवाब होता है लगभग एक समान सवाल और एक समान जवाब ही है समाचार एजेंसी पीएम मोदी का प्रमोशन कर रहे हैं देश और जनता से संबंधित सवाल एंकर नहीं पूछ रहे हैं। अपराध बलात्कार आज मुद्दों पर कोई सवाल नहीं होता है अर्थव्यवस्था बड़ी होने के साथ गरीबी बढ़ रही है ? जी-20 तथा ट्रंप के आवागमन पर गरीबों की बस्ती को क्यों ढक दिया गया। क्या अन्य देश के न्यूज एजेंसी ने इसको कवर नहीं किया होगा। इस पर ने जो नाम कमाया है उसका बुरा असर कितना पड़ा होगा। राजनेताओं के अपराधों को कैसे खत्म किया जा सकता है राजनीति में हिंसा और धन बल को कैसे खत्म किया जा सकता है। लोगों के अंदर व्याप्त असुरक्षा की भावना को कैसे कम किया जा सकता है या खत्म किया जा सकता है? इस पर कोई सवाल नहीं होता है। वही पीएम मोदी कांग्रेस के परिवार में लोकतंत्र खोज रहे हैं तथा 141 सांसदों का निरस्तीकरण पर लोकतंत्र पर चोट नहीं मान रहे हैं जो संसद की सुरक्षा के उल्लंघन पर बहस की मांग कर रहे थे न्यूज़ चैनल मोदी के द्वारा बोले गए झूठ की समीक्षा नहीं कर रहे हैं। पुलवामा हमले में 42 जवान इसलिए मारे गए कि सरकार ने हेलीकॉप्टर समय पर मुहैया नहीं कराया था ? 42 जवानों के शाहिद होने पर इंटेलिजेंस को कितना जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। क्या इंटेलिजेंस ब्यूरो को इसकी खबर नही मिल पाई या फायदा लेने के लिए यह सोची समझी साजिश थी?  यूसीसी को सामाजिक सामंजस्य के रूप में भी प्रस्तुत किया जा सकता है पर आप उसे आप और आपके पार्टी के लोग सांप्रदायिक रंग देते हुए दिख रहे है? आदि सवाल उपेक्षित रहे।

जहां जवाबदेही नहीं होती है वहां विश्वसनीयता कम हो जाती हैं पर सामान्य जनता इसका मतलब समझने को तैयार नहीं है। वह तो 5 किलो मुफ्त अनाज और 5 रुपए प्रति महीने में ही खुश हैं। जनता की स्थिति ही ऐसी है या उनकी स्थिति को इतना रखा ही गया है कि वह इतने में खुश रहे यह कहना ज्यादा सही है।

यह पालतू मीडिया ही है जो मोदी का साक्षात्कार नही ले रहे हैं बल्कि चुनाव में मोदी जी को प्रमोट कर रहे हैं। जीतने के बाद मोदी जी इन सबको प्रमोट करेंगे। 

                                                मेवालाल

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