अखिलेश यादव के मंदिर प्रवेश पर (लेख) ~ मेवालाल
Pic credit: times of india, kanauj
हाल ही में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कनौज के सिद्धेश्वर मंदिर में गए। यह शिव पार्वती का मंदिर है। वहां उनके जाने के बाद उस मंदिर को गंगा जल से धुलवाया गया।
भले वे चुनावी माहौल में गए हो पर यह उनकी अपनी रणनीति है। और यह उनका अपना अधिकार भी है।
मै तो सोचता था कि ये हादसा सिर्फ एसी एसटी लोगों के साथ होता है। लेकिन यह ओबीसी के साथ भी को रहा है। अब लोग कह सकते है कि हमे मंदिर क्यों जाना ? तो जवाब है कि जब वह मंदिर बना होगा तो क्या एक ही समुदाय के लोगों ने अपना पैसा और श्रम खर्च किया होगा? समाज के सभी लोगों यथास्थितिनुसार चंदा दिया होगा। मंदिर को पूरा करवाने में अपना अमूल्य श्रम भी दिया होगा। फिर ऐसा कृत्य क्यों ? अंबेडकर ने भी मंदिर के लिए सत्याग्रह किया था। कि हमे मानव होने का अधिकार मिले। मंदिर जाने से दाल चावल का खर्चा नहीं निकलेगा पर जो संस्कृति से सदियों से जुड़ा है। जो हमारे मन मस्तिष्क में रचा बसा है उसके द्वार जाकर सुकून तो मिलता ही है। इसलिए मंदिर जाना भी जरूरी है सुकून के लिए नहीं तो मानवाधिकार के लिए जरूरी है।
देवालय भगवान का घर है भगवान अपने द्वार पर किसी को भी आने को मना नहीं करते है। चाहे आप हिन्दू हो या नहीं, चाहे आप नास्तिक हो या आस्तिक , चाहे आप सनातनी हो या नहीं। पर बीजेपी के कार्यकर्ता हो या मंदिर के कार्यकर्ता हो या पुजारी लोग हो। ये भगवान बनकर बैठे है। भगवान का द्वार सभी के लिए बराबर खुला है। किसी के जाने से मंदिर अपवित्र नही हो जाता । उसे धुलवाकर उन्हें नीचा दिखाने का यह एक प्रयास है कि तुम वो नहीं हो जो मैं हूं। जो मैं हूं तुम वह नहीं हो सकते है।
उन पर आरोप है कि अखिलेश यादव में संस्कार नहीं है। वे चप्पल पहनकर मंदिर में प्रवेश किया। उनके लोगों ने मंदिर में थोपा। पर इसका प्रमाण भी दिखाते तो ज्यादा अच्छा होता। कि ये चप्पल में प्रवेश कर रहे है। इनके लोग थूक रहे है। इसलिए हम मंदिर की साफ सफाई करवा रहे है।... यह अस्पृश्यता का पालन है। जिसको संविधान ने वर्षों पहले खत्म कर दिया है।फिर भी लोग इसका प्रैक्टिस कर रहे है। इससे पहले जब उन्होंने मुख्य मंत्री पद का त्याग किया था तो मुख्य मंत्री आवास धुलवाया गया है।
जो ऐसा कर रहे हैं इसका प्रभाव दूरगामी होगा। ऐसे विचार हिंदुत्व के लिए स्वयं खतरनाक है। इसलिए हमे सामाजिक सामंजस्य के महत्व को समझना चाहिए।
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