पीएम नरेंद्र मोदी के जीवन के आर्थिक पहलू (संपादकीय) ~ मेवालाल

पीएम मोदी के विदेश यात्रा का सबसे बड़ा लाभ यह है कि भारत में निवेश आया है। उन्होंने निवेशकों को आमंत्रित किया। उन्हें विश्वास दिलाया। कई आर्थिक सुधार किए और उन्हें सुरक्षित माहौल देने का वादा किया। किसी देश का विकास ही निवेश पर निर्भर करता है। पैसा छापकर और उसे लोगों में बाँट कर विकास नहीं किया जा सकता है। निवेश ही कई बुनियादी चीजों और अन्य विकास का आधार है।

पीएम मोदी की सूक्ष्म दृष्टि की प्रशंसा होनी चाहिए। पीएम मोदी के पास भले कोई बड़ी डिग्री न हो पर समावेशी है निर्णयपरक बातें करते हैं।  वे चले आ रहे विचारों का यथावत उल्लेख ही नहीं करते बल्कि अपना विचार उसमे जोड़ते भी है। इस प्रकार जोड़कर वे स्थापित विचारों को वर्तमान रूप देते है। जैसे 10 अगस्त 2024 को आईसीएआर के खेतों में जाकर जय जवान जय किसान के बातों को दोहराया भी और अटल जी के विचार 'जय विज्ञान' को जोड़ा और उसमें अपना विचार  जय अनुसंधान को भी जोड़ा। यह विरासत से विकास की यात्रा हैं। यह उनके व्यक्तगत जीवन से जुड़कर सार्वजनिक बनता हैं। (वहीं पर पीएम मोदी ने 61 फसलों की 109 नई उन्नत किस्मों को जारी भी किया।) उनकी ऐसी ही सूक्ष्म दृष्टि को आर्थिक क्षेत्र में कई जगह देखते है जो अन्वेषणपरक है।

2018 में बायोफ्यूल डे के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने संबोधन में नाले की गैस से चाय बनाने वाले इस शख्स का किस्सा सुनाया था।  छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में रहने वाले श्याम राव सिर्के ने इसका पेटेंट कराया। इसके साथ उन्होंने घर के कचरे से बने गैस से किसान द्वारा खेत में पंप चलाने की बात भी कहीं।(दैनिक जागरण, 18 अगस्त 2018)  (https://youtu.be/dALEqX57Dek?si=X8gCl9pb7AhvvSHR)
गाजियाबाद में नाले के गैस से बनती चाय 
इसका मजाक बनाने की जरूरत नहीं है बल्कि इसमें नवाचार और दक्षता जोड़ने की जरूरत है। इसे आधुनिक बनाने की जरूरत है ताकि पर्यावरण और विकास के बीच सामंजस्य स्थापित हो सके।

 
श्रावस्ती में पीएम मोदी अपने 2024 के चुनाव अभियान के दौरान गए थे तो वहां की थारू जनजाति के महिलाओं ने उन्हें हस्तनिर्मित बेना (पंखा) और अन्य चीजें दी। एमपी मोदी ने उस पंखे को उठकर घुमाया और हवा भी किया । वे जानते है उनके ऐसा करने से उनके विक्रय में वृद्धि होगी।

जब राष्ट्रपति मैक्रॉन 25 जनवरी को दो दिवसीय भारत की यात्रा पर आए थे। नरेन्द्र मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) डिजिटल भुगतान प्रणाली के बारे में विस्तार से बताया, जब दोनों नेता जयपुर में हवा महल की अपनी यात्रा के दौरान एक स्थानीय दुकान पर गए।
उल्लेखनीय रूप से, UPI एक ऐसी प्रणाली है जो कई बैंक खातों को एक ही मोबाइल एप्लिकेशन (किसी भी सहभागी बैंक का) में संचालित करती है, जिसमें कई बैंकिंग सुविधाएँ, निर्बाध फंड रूटिंग और मर्चेंट भुगतान एक ही हुड में समाहित हो जाते हैं। यह उपयोगकर्ताओं को चौबीसों घंटे अपने मोबाइल डिवाइस के माध्यम से पैसे ट्रांसफर करने की अनुमति देता है।


यह मात्र हाथ से मोबाइल निकलकर स्कैन करके पेमेंट करके फोटो खिंचवाना नहीं है बल्कि भारत के टेक्नोलॉजी का सामर्थ्य दिखाना भी है। इससे यूपीआई ने फ्रांस में प्रवेश भी किया है। एफिल टॉवर में यूपीआई से पेमेंट होता है।
मकर संक्रांति के अवसर पर पीएम मोदी ने जिन गायों को चारा खिलाया । जिसका आर्थिक महत्व है। ये पुंगनूर गाय है। ये बड़ी दुधारू होती है । ये आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले से संबंधित है। पुंगनूर नस्ल के दूध में वसा की मात्रा अधिक होती है। जबकि गाय के दूध में सामान्य रूप से 3 से 3.5 प्रतिशत वसा होती है, पुंगनूर नस्ल के दूध में 8 प्रतिशत वसा होती है। गाय की औसत दूध की उपज 3 से 5 लीटर/दिन होती है और इसका दैनिक चारा सेवन 5 किलोग्राम होता है। यह अत्यधिक सूखा प्रतिरोधी है, और केवल सूखे चारे पर जीवित रहने में सक्षम है। आप इस गाय को खरीदिए और दूध बेचकर अपने ये को बढ़ाइए। 
 
अराकू काफी पीते हुए पीएम मोदी। अराकू काफी की खेती आंध्र प्रदेश के नीलगिरी पहाड़ी के इलाके में होती है। विदेश में इसके स्वाद को लेकर इसकी काफी मांग है। मोदी के जिक्र के बाद भारत में यह हाईलाइट तो हुआ ही। साथ ही घरेलू बाजार में इसकी मांग बढ़ी है। इसका मतलब यह है कि अन्य लोग भी इसकी खेती करके लाभ कमा सकते है।
28 सितंबर 2023 को अपने मन की बात में मोदी ने कहा मेरे साथी युट्यूबर आज आपके बीच एक फेलो युट्यूबर के तौर पर आकर मुझे बेहद खुशी हुई। मैं भी आपके जैसा हूं अलग नहीं। 15 साल से मैं भी यूट्यूब के माध्यम से देश और दुनिया से कनेक्टेड हूं। कंटेंट जो लोगों पर प्रभाव डाले , जो एक बेहतर समाज बनाने को प्रतिबद्ध हो  उसको लेकर वीडियो बनाया जा सकता है। और यूट्यूब पर एक अच्छी कमाई भी है।  इसी को बढ़ावा देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मेरे यूट्यूब चैनल को लाइक कीजिए सब्सक्राइब कीजिए और बेल आइकन को दबाइए। एक ऐसा पीएम शायद ही दुनिया में मिले जो सामान्य युट्यूबर की भाषा बोल रहा हो। वास्तव में यह एक स्टार्टअप को बढ़ावा है।
पीएम मोदी सर्कुलर अर्थव्यवस्था के समर्थक है।  वे वेस्ट के पुनरुपयोग की बात भी करते है। बिल गेट्स को अपने जैकेट को दिखाते हुए मोदी ने कहा कि यह रिसाइकिल मैटेरियल से बनी है। इसमें 30- 40% प्लास्टिक के बोतल है। शेष कुछ दर्जी के यहां से जो  कपड़े काट छांट के बाद बच जाते है। उसका वेस्ट और कुछ पुराने कपड़ों का भी शामिल है। इन सबको रिसाइकिल करके यह कपड़ा बना है। इससे यह सीख मिलती है कि वेस्ट से भी एक नया चीज बनाया जा सकता है। और बना कर बेचा भी जा सकता है और पहना भी जा सकता है।


समय बदलने के साथ नौकरी की प्रकृति भी बदल रही है। पारंपरिक पठन पठान से अलग भी स्किल होते है जिनको महत्व देने की जरूरत है। और यह पैसा कमाई का जरिया भी हो सकता है। गेम बनाया भी जा सकता है।  इसको महत्व देते हुए पीएम ने गेम खिलाड़ी को समय दिया।  समय ही नहीं दिया बल्कि उसे समय देकर बढ़ावा भी दिया। यह बैठक पुस्तक से आगे सोचने को भी कहता है। यह डिजिटल दुनिया रचनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए था जो हमारे संस्कृति को आगे बढ़ा सकता है। 


जहान्वी सिंह को नेशनल क्रिएटर अवार्ड दिया जाना इस क्षेत्र में बढ़ावा देना है। भारत 2025 में ई-सपोर्ट चैम्पियनशिप आयोजित करेगा|  मात्र पढ़ाई करके देश को विकसित नहीं बनाया जा सकता है। पढ़ाई से परे अन्य क्षेत्र में भी युवा है । उस क्षेत्र का विकास भी जरूरी है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि एलॉन मस्क ने भी 13 वर्ष की अवस्था में 'ब्लास्टर' नाम से एक स्पेस फाइटिंग गेम बनाया था और उसे 500 डॉलर में एक पत्रिका को बेच था। अनलाइन गेम खिलाड़ियों को समय देना गेम को बढ़ावा और महत्त्व देना है। यह भी कमाई का एक स्रोत हो सकता है।   

पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने मन को बात की 112 वीं सीरीज में केरल के अट्टापडी जनजाति के महिलाओं द्वारा हस्तनिर्मित छाता का उल्लेख किया। और इस छाते ने ब्रांड का रूप लिया। पूरा भारत इससे परिचित हुआ। और इसका विक्रय बढ़ गया।
इस प्रकार पीएम मोदी के दिनचर्या का यह पहलू लक्षणा में बहुत सारी बातें कहता है। जिसको स्वयं पीएम मोदी सीधे सीधे नहीं  कह सकते हैं फिर भी उसको कह रहे है। उनके आर्थिक विचार लोगों को लाभ पहुँचा रहे हैं और  लोग भारतीय अर्थव्यवस्था में अपना योगदान भी दे रहे है। 
                                                                         ~ मेवालाल, शोधार्थी हिन्दी विभाग BHU




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