एडेनियम ओबेसम (कविता) ~ मेवालाल


मोटा तन पतली पतिया

गाढ़ा रंग एडेनियम ओबेसम

आकर्षण से जिज्ञासा जागी

पूछने पर बतायेगा नहीं

अपना परिचय अजनबी को

मैं कहानी गढ़ लूँगा

इसको देखकर 

रेगिस्तान के गुलाब को

गमले की छोटी दुनिया में

इतना बड़ा रंगगत लेकर

ये कैसे झुका हुआ है?

सम्पर्क से बस एक स्पर्श से

मैं इसका बड़ापन देखू

लाल पुष्प हरी पत्तिया वहीं

छोटे कद में है प्रसिद्ध

कुरुप दुनिया का यह

कैसे कर रहा प्रतिनिधि?

यथावत मैं समझ न पाउँगा

होगा अपने भावो का आरोपण

वैसे शब्दों की कमी बहुत है

मैं इसकी मखमली कोमलता देखू ।

                                             मेवालाल

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