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Showing posts from December, 2022

एक भिन्न भित्तचित्र ~ मेवालाल

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 यह तस्वीर बीएचयू के सरदार पटेल छात्रावास में लगी है। जिसमे स्पष्ट दिखता है कि भारत कई भागों में बिखरा पड़ा है। जिसको गांधी जी सिल रहे है। इसका टीचिंग बहुत ही गुमराह करने वाला है। क्योंकि गांधी जी का योगदान भारतीय जनता की एकता में देखा जा सकता है पर भारत की अखंडता में नहीं देखा जा सकता। जिस प्रकार भारत के एकीकरण में सरदार पटेल का योगदान है वैसा गांधी जी का नहीं है। सरदार पटेल की विरासत को अंबेडकर ने संजोता और उसको मजबूत रूप दिया। देश के लिए एक संविधान, राज्यों में 45% अन्य राज्यों से लोकसेवको की उपस्थिति, तीनों सेनाओं की अलग से व्यवस्था वे कभी एक साथ बिना राष्ट्रपति की उपस्थिति में नहीं मिल सकते , समीवर्ती सूची पर केंद्र का अधिकार आदि देश की लोकतंत्र की विशेषता आज भारत को अखंड बनाए हुए है। यह अंबेडकर की देन है। दूसरी ओर अगर हम पाकिस्तान में देखे , नेपाल में देखे, म्यांमार में देखे तो उन्होंने अत्यधिक राजनीतिक अस्थिरता को देखा । वहां ऐसा इसलिए हुआ कि उनके पास अंबेडकर नहीं थे। पर भारत में ऐसा नहीं हुआ। क्योंकि भारत में अंबेडकर थे। लेकिन अफसोस की बात है। आज सरदार पटेल को याद किया जात...

a memory of Carona ~ mevalal

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a glimpse of british famine ~ Mevalal

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"हाथ तो उग ही आते है ” (कहानी संग्रह) की पुस्तक समीक्षा – मेवालाल

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 “हाथ तो उग ही आते हैं” नामक कहानी संग्रह के लेखक श्योराज सिंह बेचैन जी हैं। वे इस समय दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष है। वर्तमान में वे दलित साहित्य के सुपरिचित हस्ताक्षर है। उनकी यह पुस्तक 2020 में वाणी प्रकाशन से प्रकाशित हुई है। इसमें संग्रहित सभी कहानियाँ पहले अलग-अलग पत्रिका में प्रकाशित हो चुकी थी लेकिन सभी को व्यवस्थित रूप देने के लिए एक पुस्तक का रूप दे दिया गया है। शीर्षक बहुत ही रोचक और प्रासंगिक है। इतिहास में कारीगरों के हाथ काटे गए । महाभारत में एकलव्य का अंगूठा काट लिया गया। रामायण में शंबूक का सर काटा गया तथा हानूश नाटक में हानूश की आंखें फोड़ दी गई और हाथ काट लिया गया पर वर्तमान में भी हाथों पर और रचनात्मकता पर हमला हो रहा है । भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के युग में हाथ उगाए नहीं जा रहे। ना ही लगवाए जा रहे हैं। दुख की बात है कि भारत में योग्यता के विकास के लिए पर्याप्त अवसर और संसाधन नहीं है और हमारी शिक्षा व्यवस्था भी पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं इसलिए हाथ उगाने का उपागम यहाँ नहीं है जबकि अमेरिका में उगाए जा रहे हैं। हिटलर के कारण ही द्वितीय विश्...

लोग कविता ~ मेवालाल

        लोग सोचता था पहले मैं था जब बारहवीं में है यहां कर्तव्य की भावना है यहां ईमानदारी का महत्व अपना पराया भाव छोड़ लेते है सब सत्य का पक्ष और लेते रहेंगे। जब आती होगी देश की बात छोड़ देते होंगे अपना स्वार्थ पर ऐसा नहीं है। यहां सब कुछ ठीक है अपनी मातृभूमि अपने देश पर गर्व करना चाहिए। अपना देश बहुत सुंदर है। अपनी जन्मभूमि भी यहीं अपनी कर्मभूमि भी यहीं यहां सब ठीक क्या सब सही ? क्या कहूं इनको : प्रतिदिन तीन हजार हर भारतीय जा रहे बसने विदेशों में  छोड़ रहे है अपनी नागरिकता ? आदर्श नहीं,यथार्थ की बातें करो बिलकिस बानो एक प्रतीक इंद्र मेघवाल  मिथक कहूं या नागरिक कितना आदर्श गढ़ोगे ? देखकर मोह भंग हो जाता है गढ़ा गया विचार रोज हो रहे अपराध जवाबदेह नहीं सरकार ऐसा मत लिखो तनाव पैदा होगा विवाद बढ़ेगा। नहीं भाई अगर सच है तो सच को होना चाहिए पारदर्शी लिखो और बोलो सच शायद कुछ हल निकले। शोध के लिए प्रवेश पाने के लिए उच्च शिक्षण संस्थाओं में नहीं मिलते प्रवेश पढ़ने के लिए तब मैने जाना जो मैं सोचता हूं गलत है। बहुत जटिल है समाज अगर जिंदगी नहीं तो न्याय किस काम क...

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*_इंडियन ओपिनियन ऑनलाइन प्रकाशन_*  url – thewindowcriticism.in   मैं मेवालाल , शोधार्थी हिन्दी विभाग, बीएचयू मैने एक वेबसाइट बनाया है – इंडियन ओपिनियन आप लोगो को अपने वेबसाइट पर गीत, गजल, कविता, कहानी, आलोचना, पुस्तक समीक्षा आदि लिखने को आमंत्रित करता हूं। अगर आप अपना लेखन ऑनलाइन पब्लिश कराना चाहते है तो भी स्वागत है। आप मुझे टाइप करके 7753019742 ( व्हाट्सएप मात्र) भेज सकते है। इसके लिए कोई मानक नहीं है । कोई विचारधारा नहीं है। आप जैसा लिखते है –स्वागत है। आप मोबाइल से टाइप कर सकते है स्टेप अपने फोन में माइक्रोसॉफ्ट वर्ड डाउनलोड करें फिर साइन इन करें उसके बाद अपने पसंदीदा पेज पर टाइप करे फिर मुझे शेयर करे , शेयर करने पर दो विकल्प आयेंगे पहले डैक्यूमेंट दूसरा पीडीएफ का तो मुझे डैक्यूमेंट वाला टेक्स्ट शेयर करें तभी पब्लिश हो पाएगी। आप व्हाट्सएप पर टाइप करके भी भेज सकते हैं। मेरा विचार है कि जो लेखन और रचनात्मकता है वह मरे न, आगे चलकर शिथिल न हो, लोगो को लेखन की ओर प्रोत्साहित करे। यह कमर्शियल नहीं बल्कि भाषा और साहित्य की एक सेवा है कि लोगो को एक जगह अनेक विचार, अनुभव औ...

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